गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

आगामी सरकार की चुनौतियाँ

आगामी सरकार की चुनौतियाँ
कल ही चुनाव परिणामों की घोषणा हुई है और जन मानस ने यह बात स्पष्ट कर दी है कि आज के दौरान जिस तरह की पूर्व पंचवर्षीय कार्यकाल का प्रभाव था वह समय के अनुरूप जनता के ऊपर प्रभाव नहीं डाल पाया है. और इस कुप्रभाव का परिणाम था की सरकार को और अधिक समर्थवान बनने की आवश्यकता है.यह कहीं ना कहीं कठिनतम तो है ही साथ ही साथ बहुत चिंतन पूर्ण कार्य भी होगा.यह सच है कि पूर्व में बनी सरकार ने मध्यप्रदेश को सजाने और सवारने में कोई कसर नहीं छोडी है. परन्तु स्थानीय स्तर पर यह प्रयास कम ही किया गया. स्थानीय उपक्रम तो काफी हद तक सार्थक स्वरूप  में जनता के सामने भी आया परन्तु जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल दुविधाओं से भरा था और यह बात जनता के द्वारा दिये गये वोटों ने काफी कुछ साफ भी कर दिया है.इस बार बनने वाली सरकार के लिये यक्ष प्रश्न यहीं है कि सरकार को आगामी पाँच वर्षों के लिये एक कार्ययोजना का निर्माण करना होगा जिस पर पूरी तरह से अमल किया जा सके .वरना अंततः यही देखा गया है कि समय के गुजरने के साथ कार्ययोजना का परिणाम सिर्फ कागजों में निकल कर रह जाता है. मेरे अवलोकन के अनुसार नयी सरकार के सामने कई चुनौतियाँ तो प्रथम दिवस से ही आ खडी है.इसकी प्रमुख वजह इस चुनावों में किये गये वोट वितरण की रेवडी है.
सबसे पहली चुनौती है भितरघात से बचाव,इस बार के चुनाव के दरमियाँ अधिक्तर यह देखा गया है कि सीट ना मिलने की वजह से कई राजनेता भितरघातियों की तरह पार्टी में स्थान बनाये हुये है,जिनका सरकार में सामिल होता सरकार के लिये हानिकारक सिद्ध होसकता है.यही कारण है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद वास्तविक वफादार ,कदवार नेताओं  को उनके कद के अनुसार यथोचित स्थान दिया जाये. ताकि वफादारी का एक सम्मान भी बना रहेगा.दूसरी चुनौती है पिछली गलतियों और आशंकाओं पर पूर्णविराम लगाना.पिछले कार्यकाल में जिस तरह की गलतियाँ और आशंकायें जनता के बीच में बिजली के करेंट की तरह फैली है उसे पूर्णविराम लगाना.क्योंकी सरकार के जन प्रतिनिधि कुछ झूटे वादे सरकार की तरफ से करके मुकर जाते है जिससे सरकार के ऊपर थू थू होती और बने बनायी छवि धूमिल हो जाती है.अगली चुनौती है योजनाओं का समुचित क्रियान्वयन और जनमानस लाभ, इस चुनौती से सरकार को सबसे ज्यादा बार रूबरू होना पडेगा.जिसकी प्रमुख वजह योजनाओं की संख्या में इजाफा के साथ समुचित व्यवस्था और क्रियान्वयन के लिये मास्टर टीमॊं का गठन करना और उनको अपने उद्देश्यों कीए पूर्ति के लिये दिशानिर्देशन करना ताकि योजनाओं का लाभ समग्र रूप से जनमानस के जरूरत मंद लोगों तक पहुँच सके.एक और प्रमुख चुनौती का सामना सरकार को करना है वह है जन प्रतिनिधियों के क्रिया कलापों पर नजर रखना ताकि वो सब अपने भाई भतीजावाद को छोड कर जनमानस के लिये सरकार के उद्देश्यों को पूर्ण करे. अन्यथा चुनाव के बाद जन प्रतिनिधि जनता के लिये काम करने की बजाय अपने को सजाने सवारने के लिये समय अधिक निकालने लगते है.और जनता के लिये वो ईद का चाँद हो जाते है.इस लिए यह आवश्यक है कि जन प्रतिनिधि जो सरकार और जनमानस के बीच का एक पुल है वो अपने राह पर ईमानदारी से चले ताकि सरकार का संदेश लोगों तक पहुँचें.वह समय जा चुका है जब लोग धर्म सम्प्रदाय के नाम पर प्रभावित होकर अपने मत का प्रयोग करते थे को यह बात जानना बहुत जरूरी है कि चुनाव यदि विकास के मद पर लडा जायेगा तो सरकार के उद्देश्य जरूर पूरे और जनता के लिये वो ईद का चाँद हो जाते है.इस लिए यह आवश्यक है कि जन प्रतिनिधि जो सरकार और जनमानस के बीच का एक पुल है वो अपने राह पर ईमानदारी से चले ताकि सरकार का संदेश और सरकार की योजनायें जनमानस तक उसी स्वरूप में पहुँचे जिस रूप में सरकार जनता तक पहुँचाना चाहती है.अगली चुनौती है युवा वर्ग को अपने साथ रखना वॄद्धों को सम्मान देना,जो सरकार को आगामी वक्त के लिये सरकार के लिये आवश्यक है. आज के समय पर सरकार होगें. परन्तु यदि जातिवाद,धर्म और संप्रदाय की नींव में यदि सरकार खडी होगी तो उसे धराशायी होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा.इन चुनौतियों का समाधान करना समय की माँग है क्योंकी आज तक सरकार ने जो भी काम किया है वह काबिले तारीफ है. परन्तु अपेक्षा भी एक प्रमुख कारक है जो  सरकार को आँखों का तारा बनने के लिये खरा उतरने का माँग कर रही है.
आगामी सरकार के लिये इस लिये आवश्यक है कि समय के रहते और समय की माँग को मानते हुये अपनी चुनौतियों के लिये कमर कसकर अगले पाँचवर्षों के लिये शुभारंभ करें.यदि सरकार विकास और समृद्धि को अपना मुद्दा बनाकर काम करेगी और अपनी पार्टी के जन प्रतिनिधियों पर नकेल कस कर रखेगी तो उसके लिये आगामी पाँच वर्ष ज्यादा लाभकारी हो जायेगे.
अनिल अयान सतना.


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