शनिवार, 5 जुलाई 2014

व्यापम घोटाले,नखडे निराले,कौन सम्हाले.


व्यापम घोटाले,नखडे निराले,कौन सम्हाले.
जब हम अपने विद्यालय में पढते थे तो हमें हमारे मास्टर साहब ने सिखाया था कि सफलता का कभी भी कोई शार्टकट नहीं होता है.और जो शार्टकट खोजने की कोशिश करता है. कभी ना कभी उसे पकड ही लिया जाता है.और वह मुँह की खाता है.कभी भी सफल होने के लिये शार्ट कट नहीं खोजना चाहिये क्योकि जब गले में फंदा फसता है तो कोई माई बाप काम नहीं आता है.पर जब हम अपनी महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिये जोर जुगाड से पद ,या फिर,प्रवेश पाना चाहता है तो वह जुगाड ही उनके लिये सजा की राह खोल देता है. और हमारे मध्य प्रदेश में व्यापमं का जो फर्जीवाडा और घोटाला सामने आया है वह इस प्रदेश की बनी बनाई इमेज को मिट्टी पलीत करने में लगा हुआ है.
व्यापमं का गठन इसलिये मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा मंत्रालय में किया गया था कि ताकि आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षाओं और अन्य व्यावसायिक रोजगार के लिये परिक्षाओं को नियमित रूप से निगमन किया जा सके. कई सालों इस संगठन की कार्य प्रणाली बहुत सही और सहज तरीके से चल रही थी.परन्तु जिस प्रकार यह पीएमटी घोटाला और अन्य परीक्षाओं से संबंधित घोटालों से यह परदा हटा है वह व्यापमं से जुडे हुये लोगों की कार्यप्रणाली को संधिग्ध बना दिया है.इस प्रकार के घोटाले परीक्षाओं में शामिल होने वाले विद्यार्थियों और उनके परिवारों को सामाजिक प्रतिष्ठा से संबंधित खतरों से घेर लिया है.जो विद्यार्थी इससे बचकर भी परीक्षा दिये थे वो भी शक के घेरे में आ गये है.सबकी पेशी एस.टी.एफ. की जाँच के घेरे आगये है.बच्चों के भविष्य के साथ उनके माता पिता या रिस्तेदारों ने जिस जोर जुगाड का इस्तेमाल करके,रुपया पैसा खर्च करके गैरकानूनी तरीके से कालेज में दाखिला दिला कर डाँक्टर बनने का ख्याली पोलाव पका रहे थे वो सब धरासायी हो गये है.और सब एक दूसरे का चेहरा देखकर इस मुसीबत से बचने का रास्ता खोजने में लगे हुये है.वही सीख जो हमारे मास्टर साहब ने हमें सिखाया था वह इस सब लोगों पर भी लागू होता है.परन्तु ये सब रुपये पैसे ,जोड जुगाड,और पहुँच का इस्तेमाल करके इसी सफलता के शार्ट कट में चलने का दंश और सजा भोग रहे है.
पीएमटी घोटाले,अभी आयोजित हुये आयुर्वेदिक डाक्टर की परीक्षाओं का निरस्त हो जाने जैसी घटनाओं से व्यापमं की छवि धूमिल कर दिया है.पर इस तरह के घोटालों से यदि राजनीतिज्ञ का कैरियर समाप्त हो जाता है उससे कहीं ज्यादा बेखबर नौजवानों का भविष्य चौपट हो जाता है.चारा घोटाला,थ्री जी घोटाला,कोयला घोटाला,जैसे घोटाले तो किसी युवा के कैरियर से खिलवाड नहीं करता है परन्तु इस तरह के घोटाले से शिक्षा और रोजगार के गोरखधंधे की अनायास ही नींव रख चुकी है. आज के समय पर रोजगार के प्रति युवाओं की अति महत्वाकांक्षा का ही परिणाम है कि इस तरह के घोटालों को भरण पोषण मिल रहा है.घोटालों से ही समाज में सरकार और विरोधियों के बीच में सरकार को खामोश होना पडता है.और अपने भविष्य के प्रति अति जागरुक होना पडता है.प्रमुख मुद्दा यह है कि क्या व्यापम से आयोजित होने वाली अन्य परीक्षाओं का भी यही अंजाम होने वाला है क्या और भी अभ्यर्थी इस जाल के शिकार हो जायेंगें.और अपने भविष्य की बलि दे देगें. अब फैसला हमें करना होगा कि अपने आने वाले युवाओं को हम किस राह में ले जाना चाहते है. अपने आस पास से यह शुरुआत करनी होगी.अपनी आगे वाली पीढी को यह समझाना ही होगा कि यदि हमे पर्मानेंट सफलता चाहिये तो शार्टकट रास्ते में पेपर पता करना,कापी बनवाना,नंबर बढवाना अदि कामों के लिये इफरात रुपये माफियाओं को सौंपते है और अपनी गर्दन को भी अनजाने सौंप देते है इसलिये जरूरी है कि आने वाली पीढी को इस जहर से बचाना ही उद्देश्य होना चाहिये. रही बात घोटालों की तो वह तो देश के विकास में कलंक राजनेता के द्वारा लगा ही दिये जायेंगें.यह तो सरकार ही रोक सकती है.
इतिहास गवाह रहा है कि घोटालों का लंबा अध्याय है जब इस पर से पर्दा हटा है तब आरोपी पकडे गये है वर्ना रामराज्य  मना रहे घोटाले बाजों की चाँदी हमेशा रही है.मध्य प्रदेश में विगत पाँच वर्षों में इस प्रकार के घोटाले का खुलना और फर्जीवाडे का पर्दाफास होना कहीं ना कहीं जनता और नागरिकों की उम्मीदों की हत्या की तरह है. सरकार को चाहिये कि इस तरह के लोगों के खिलाफ कडे से कडा कदम उठाये.और इस तरह के अधिकारियों की छुट्टी करके कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति करे.इस घोटालों में हिंदूवादी संगठनों के कथित रूप से कार्यकर्ताओं का आना भी इन संगठनों की भूमिका को समाज में संदिग्ध बनाती है.जाँच का जारी रहने तक इन कुसूरवारों को जीवन दान है जाँच समाप्त होने के बाद सभी संबंधित लोगों  का अपने क्षेत्र में कैरियर इस लिये समाप्त हो जायेगा. परन्तु इस तरह के घोटालों का केंद्र वो सब लोग और अतिमहत्वाकांक्षायुक्त मजबूरी है जिसकी वजह से वो समाज में सफलता और सर्वोच्च शिखर तक पहुँचने के लिये शार्टकट अपनाने के लिये मजबूर होते है. इस लिये जो रास्ता लंबा है उस रास्ते में चल कर मंजिलों को तलाशिये ना कि शार्टकट तरीके से घोटालेबाजों के हाथ का खिलौना बनिये.अब जाँच ही बतायेगी कि कितनी परीक्षाओं की पोल खुलेगी और कितने लोग जेल में सजा काटेंगें.

अनिल अयान,सतना.
९४०६७८१०४०

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