सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

लव-जेहाद, हकीकत या फसाद ?

लव-जेहाद, हकीकत या फसाद ?

भारत में इस वक्त सबसे ज्यादा खतरा, हमारी बहनों और बेटियों के जीवन में लगातार नजर गडाये संकट की आँधी से है.आतंक के जेहाद का रिस्तों के माध्यम से जीवन में प्रवेश करते ही उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों में हाहाकार मच गया.कभी कभी मै सोचता हूँ जब इस चक्रव्यूह में महिला खिलाडी जैसी जागरुक लडकी फंस गई तो अन्य मासूम लडकियों का क्या होगा. हमारे देश की विडंबना है कि हमारे यहाँ ख्वाहिशों से खिलवाड करके अधिक्तर महिलायें शिकार हो जाती है.कभी यह सुनने को नहीं मिला कि किसी लडके ने किसी मुस्लिम लडकी को हिंदू धर्म में सम्मिलित करने के लिये उस पर जोर जबरजस्ती किया हो.यह काम अधिक्तर ईसाई और मुस्लिम संप्रदाय से अधिक्तर सुनने को मिला है.इसकी वजह चाहे हिंदू धर्म की अतिउदारवादिता हो या अन्य धर्मों की अति सक्रियता हो.
प्रेम में जेहाद की कल्पना नहीं की जा सकती है.क्योंकी प्रेम जिस्मानी हो सकता है या रूहानी हो सकता है.और जेहाद में प्रेम नहीं हो सकता है.जेहाद का मूल अर्थ है जगदोजहद अपने अस्तित्व के लिये जगदोजहद करना.परन्तु आतंक के साथ इसके अर्थ बदल गये है.जेहाद का अर्थ बदल कर आतंक का भय हर धर्म के अनुयायियों में पैदा कर देना. भारत में हिंदुओं के मन में मुस्लिम धर्म हेतु समर्पण पैदा करने के लिये डराना धमकाना और प्रताडित करके मजबूर कर देना.अलकायदा और हिजबुल मुजाहिद्दीन के जारी किये गये वीडियो में यही उद्देश्य की पूर्ति करने के लिये भारत में आतंकी संगढन की स्थापना करने की बात की गयी है.प्रेम को जेहाद के साथ जोडने के मायने प्रेम का अपमान है.भारत में इश्क जेहाद का असर जितना दिखा है.उसमें दोषी कौन है यह सोचने का विषय है.यदि हम उस महिला खिलाडी की बात करें जो इश्क जेहाद में अपने जीवन के सारे सपनो को खत्म कर लिया,उसके यदि विवाह प्रसंग को गौर करें तो समझ में आयेगा कि उसने रंजीत नाम के तथाकथित हिंदू युवक से महज एक सप्ताह के अंदर विवाह वंधन में बंध गई.यह कैसा विवाह है जिसमे एक चट मंगनी पट ब्याह से भी ज्यादा जल्दबाजी की गई.मुझे लगता है कि जितना गल्ती उस तथा कथित रंजीत नाम के युवक की है.उतनी ही गल्ती उस महिला खिलाडी की भी है.क्योंकी विवाह जैसे संस्कार जान पहचान वाले परिवार के साथ किये जाते है.
यदि इस तरह का जेहाद आतंकवाद का एक और जिंदा मानव हथियार है तो यह भारत के लिये आने वाले समय में बहुत बडा खतरा है.इसके बारे में भारत की सरकार को यथोचित निर्णय लेना होगा.परन्तु इस मामले को सियासी रंग देना बहुत गलत है.क्योंकि चैनल वालों ने पीडिताओं के जीवन के बारे में जिस तरह कार्यक्रम बना कर लाईव टेलीकास्ट किया उससे यह तो साफ है कि धर्म परिवर्तन करवाने के लिये किया जाने वाला कृत्य धार्मिक और सामाजिक रूप से बहुत बडा गुनाह है.इस तरह की सर्रियत ना तो कुर’आन में लिखी हुई है और ना ही अन्य धर्म ग्रंथों में.लेकिन इस संदर्भ के जितने भी केस सामने आये है उसमें लडकी वालों के परिवार के तरफ से कोई भी बयान नहीं आये.ऐसा क्यों हुआ.इसका जवाब इस लडकियों के पास भी नहीं था.जब भी हम अपने माता पिता के निर्णयों के विरोध में आकर कदम उठाते है तो इसका परिणाम यही निकलता है. इस पूरे मामले में महिला आयोग के किसी भी अधिकारी या सदस्य का कोई बयान क्यों नहीं आया.क्या वो इस मामले से अनभिग्य थी.संसद मे महिला सांसदों और मंत्रियों की तरफ से कोई  बयान नहीं आया.ऐसा लगा कि इस प्रकार के विवाह में धोखा खाई इन महिलाओं की जल्दबाजी को सब लोगों ने बखूबी  समझ लिया हो. लेकिन मीडिया और सियासत जिस तरह इस मुद्दे को सियासी रंग दिया जा रहा है और इस अपराध के लिये पूरे मुस्लिम धर्म को कटघरे में खडा किया जा रहा है वह गलत है.क्योंकि कोई धर्म जेहाद की ट्रेनिंग नहीं देता है.लवजेहाद के जितने भी पहलू निकल कर सामने आये है उसमें एक बात तो साफ है कि विवाह करके जेहाद के मकसद को पूरा करने से हम तभी रोक सकते है जब हम अपने परिवार में पारिवारिक संस्कार विकसित करेंगें बेटे-बेटियों को भी यह बात समझना होगा कि संस्कारों को पूर्णकरने में परिवार पूर्ण सहमति लेनी ही चाहिये.सरकार को चाहिये कि इस प्रकार के अपराधों को रोकने के लिये कडाई से नियम और कानून बनाये जाये और जल्द से जल्द निर्णय हो,धर्म के धर्म गुरुओं को चाहिये कि एक दूसरे पे छीटाकसी करने की बजाय अपने धर्म की परिधि को पार ना करने की सलाह दे और आतंक के खिलाफ मिलकर जंग लडें.मिल जुल कर जंग लडेंगें तो लव जेहाद जैसे आतंकवाद के नये नये शस्त्र भी हमारे साहस के सामने घुटने टेक लेंगें.हमें हर हालत में अपनी युवा पीढी को जागरुक बनाना पडेगा.

अनिल अयान.सतना.

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