मंगलवार, 4 अक्तूबर 2016

आओ आपस में हमलें करें

आओ आपस में हमलें करें
कभी कोई बस से इस्लामाबाद की यात्रा करता है. कभी कोई विशेष रेल चलाता, कभी कोई मजार में जाकर कसीदे पढता है कभी कोई जन्मदिन की बधाई देने बिना देश को सूचित किये दुश्मन देश के पीएम के साथ सेल्फी सेशन कराता है.कांग्रेस इस मामले में कुछ हद तक ठीक था कि उनके संगठन यूपीए के प्रधानमंत्री जी अपने कार्यकाल में पाक की धरती में कदम तक नहीं रखे.,हमारा देश भी अजीब है कभी आतंकी हमलों के लिये वहां की जांच कमेटी बुलाने के लिये पडोसी को आमंत्रित करता है. कभी विदेश मंत्री काश्मीर को अभिन्न अंग बता कर संयुक्त राष्ट्र संघ में पडोसी को समझाइस देता है. कभी हमारे प्रधान मंत्री जी पडोसी देश को आपस में लडने की बजाय गरीबी से लडने की समझाइस देते हैं. पठानकोट ,ऊरी और दोबारा पठानकोट, कभी पंजाब कभी तटीय इलाके में संदिग्ध घटनाये और लोगों के काफिलों का आना,देश को अपने अंतर्राष्ट्रीय संकट की एक अजीब सी महक आने लगती है. एक तरफ पाकिस्तान के प्रमुख सैन्य तैयारियों का जायजा लेते हैं तो दूसरी तरफ वहां के रक्षा मंत्री दोनों देशों के बीच बिना परमाणु हथियारों के समझौते की नीति को अपनाने की पहल करते हैं.कभी बालीवुड का मुस्लिम समुदाय के अभिनेता इस मामले में अपनी टांग फंसा कर मीडिया की सुर्खियां बनते हैं. तो कभी खिलाडियों का पाक दौरा रद्द हो जाता है. कभी कूटनीतिक तरीके से दक्षेश का सम्मेलन रद्द कर दिया जाता है. कभी चीन हमें सतलुज के पानी को रोकने की कोशिश करके अपने दुश्मन होने के संकेत देता है.
      हमने सर्जिकल स्ट्राइक क्या कर दी पडोसी दुश्मन देश जो आतंक का गढ है वो युद्ध विराम के चीथडे उडाकर सेना को अपना निशाना बना लिया. पंजाब बार्डर से सटे गांवों को इस लिये खाली करा लिया गया और सेना की निगरानी में खेती की जाने लगी मानो पैसठ के युद्द की पूरी तैयारी कर ली गई हो.देश का मीडिया पुराने सेना के अधिकारियों से पुनः लाहौर फतेह करने के आंकडे और अनुभव देश में बांटने लगा.कभी कबूतर कभी गुब्बारों से पडोसी देश हमारी सेना को धमकियां भेजने का फिल्मी स्टाइल वाला काम करने के लिये ऐसे विवष हुआ कि मुझे लगा कि खिसियाती हुई बिल्ली कुछ नहीं कर पा रही है तो खंबा नोचनें के लिये उतारू हो रही है.प्रधानमंत्री के द्वारा बराक ओबामा के बाद संयुक्त राष्ट्र अमीरात के प्रिंस को गणतंत्र दिवस के मुख्य आतिथ्य के लिये आमंत्रित करके अरब को भारत में उपनिवेशीय ताकत के रूप में आमंत्रित करने की तरह ही है.अब देखना यह है कि वो मुस्लिम होकर मुस्लिम देशों के लिये ज्यादा वफादार बनते हैं या फिर भारत के साथ खडे होकर मुस्लिम देशों के तथाकथित आतंकवाद को नकेल कसने में कुछ नये कदम उठाने की कोशिश करता है.चीन का हाल उस मध्यस्थ की तरह हो चुका है जो सफेद नकाबपोश दुश्मन का है. एक तरफ भारत को लाली पाप देकर अपने मकसद को हल करने के जुगाड में हमेशा विश्व स्तर पर मित्रता का स्वेत पत्र लिखता है और दूसरी तरफ पडोसी दुश्मन देशों के जरिये पाक अधिकृत काश्मीर और उससे सटे हुये चीन और पाकिस्तान अफगानिस्तान के रास्ते अपनी शक्ति को भारत के विरुद्ध प्रगाढ करने की पुरजोर कोशिश कर रहे है. मेड इन जापान,कोरिया और अन्य देशों के माल का आयात तो देश को तकनीकि रूप से मजबूत करता है परन्तु मेड इन चाइना के उत्पादों का आयात करना,वहां की कंपनियों को अपने देश में व्यापार करने का निमंत्रण देना क्या संदेश देता है.
      हमारी सरकार कहीं ना कहीं चीन को भी अपना मित्र बनाने के लिये मजबूर है और गाहे बगाहे उसकी करतूतों के बावजूद उसको दुश्मन मानने के लिये परहेज करना दोयम दर्जे का अंतर्राष्ट्रीय व्यवहार ही तो है.हम हमेशा यह मानते चले आये हैं कि दुश्मन का मित्र भी दुश्मन ही होता है. यदि हम पाकिस्तान को दुश्मन मानने के लिये राजी हैं चीन को भी दुश्मन मानने के लिये परहेज क्यों करते हैं.क्या हम चीन से डर रहे हैं क्या हम सर्जिकल स्ट्राइक के द्वारा चीन के द्वारा सैकडों किलोमीटर कब्जा कर चुके चीनी सेना के कब्जे वाले भारत के टुकडे को अलग नहीं करा सकते हैं.हम इस बात से डर रहे हैं कि कहीं चीन और पाकिस्तान दोनो मिलकर भारत को चारो तरफ से घेर लें तो भारत की मदद अमेरिका भी शायद नहीं करेगा. पाकिस्तान तब तक नहीं बाज नहीं आयेगा जब तक हम चीन को तवज्जो देते रहेंगें.चीन के बढते कदम पाकिस्तान के लिये छद्म युद्ध का रास्ता बनाने में भरपूर मदद करता रहेगा.यह सच है कि प्रायोगिक रूप से भारत काश्मीर की पीछे पाकिस्तान के ऊपर युद्ध नहीं कर सकता है.कहना जितना सरल है उसे उतारना उतना की कठिन.कहीं ना कहीं भारत को इस युद्ध को करने के बाद वैश्विक विरोध और मुश्लिम देशों की कट्टरता को भी झेलना पडेगा. अब तो हमारे देश को चाहिये कि वो ऐसा रास्ता खोजे की सांप भी मर जाये और लाठी भी ना टूटे.अर्थात रूस और प्फ्रांस जैसे देश का साथ लेकर इस समस्या का समाधान करना.
अनिल अयान सतना

९४७९४११४०७आओ आपस में हमलें करें
कभी कोई बस से इस्लामाबाद की यात्रा करता है. कभी कोई विशेष रेल चलाता, कभी कोई मजार में जाकर कसीदे पढता है कभी कोई जन्मदिन की बधाई देने बिना देश को सूचित किये दुश्मन देश के पीएम के साथ सेल्फी सेशन कराता है.कांग्रेस इस मामले में कुछ हद तक ठीक था कि उनके संगठन यूपीए के प्रधानमंत्री जी अपने कार्यकाल में पाक की धरती में कदम तक नहीं रखे.,हमारा देश भी अजीब है कभी आतंकी हमलों के लिये वहां की जांच कमेटी बुलाने के लिये पडोसी को आमंत्रित करता है. कभी विदेश मंत्री काश्मीर को अभिन्न अंग बता कर संयुक्त राष्ट्र संघ में पडोसी को समझाइस देता है. कभी हमारे प्रधान मंत्री जी पडोसी देश को आपस में लडने की बजाय गरीबी से लडने की समझाइस देते हैं. पठानकोट ,ऊरी और दोबारा पठानकोट, कभी पंजाब कभी तटीय इलाके में संदिग्ध घटनाये और लोगों के काफिलों का आना,देश को अपने अंतर्राष्ट्रीय संकट की एक अजीब सी महक आने लगती है. एक तरफ पाकिस्तान के प्रमुख सैन्य तैयारियों का जायजा लेते हैं तो दूसरी तरफ वहां के रक्षा मंत्री दोनों देशों के बीच बिना परमाणु हथियारों के समझौते की नीति को अपनाने की पहल करते हैं.कभी बालीवुड का मुस्लिम समुदाय के अभिनेता इस मामले में अपनी टांग फंसा कर मीडिया की सुर्खियां बनते हैं. तो कभी खिलाडियों का पाक दौरा रद्द हो जाता है. कभी कूटनीतिक तरीके से दक्षेश का सम्मेलन रद्द कर दिया जाता है. कभी चीन हमें सतलुज के पानी को रोकने की कोशिश करके अपने दुश्मन होने के संकेत देता है.
      हमने सर्जिकल स्ट्राइक क्या कर दी पडोसी दुश्मन देश जो आतंक का गढ है वो युद्ध विराम के चीथडे उडाकर सेना को अपना निशाना बना लिया. पंजाब बार्डर से सटे गांवों को इस लिये खाली करा लिया गया और सेना की निगरानी में खेती की जाने लगी मानो पैसठ के युद्द की पूरी तैयारी कर ली गई हो.देश का मीडिया पुराने सेना के अधिकारियों से पुनः लाहौर फतेह करने के आंकडे और अनुभव देश में बांटने लगा.कभी कबूतर कभी गुब्बारों से पडोसी देश हमारी सेना को धमकियां भेजने का फिल्मी स्टाइल वाला काम करने के लिये ऐसे विवष हुआ कि मुझे लगा कि खिसियाती हुई बिल्ली कुछ नहीं कर पा रही है तो खंबा नोचनें के लिये उतारू हो रही है.प्रधानमंत्री के द्वारा बराक ओबामा के बाद संयुक्त राष्ट्र अमीरात के प्रिंस को गणतंत्र दिवस के मुख्य आतिथ्य के लिये आमंत्रित करके अरब को भारत में उपनिवेशीय ताकत के रूप में आमंत्रित करने की तरह ही है.अब देखना यह है कि वो मुस्लिम होकर मुस्लिम देशों के लिये ज्यादा वफादार बनते हैं या फिर भारत के साथ खडे होकर मुस्लिम देशों के तथाकथित आतंकवाद को नकेल कसने में कुछ नये कदम उठाने की कोशिश करता है.चीन का हाल उस मध्यस्थ की तरह हो चुका है जो सफेद नकाबपोश दुश्मन का है. एक तरफ भारत को लाली पाप देकर अपने मकसद को हल करने के जुगाड में हमेशा विश्व स्तर पर मित्रता का स्वेत पत्र लिखता है और दूसरी तरफ पडोसी दुश्मन देशों के जरिये पाक अधिकृत काश्मीर और उससे सटे हुये चीन और पाकिस्तान अफगानिस्तान के रास्ते अपनी शक्ति को भारत के विरुद्ध प्रगाढ करने की पुरजोर कोशिश कर रहे है. मेड इन जापान,कोरिया और अन्य देशों के माल का आयात तो देश को तकनीकि रूप से मजबूत करता है परन्तु मेड इन चाइना के उत्पादों का आयात करना,वहां की कंपनियों को अपने देश में व्यापार करने का निमंत्रण देना क्या संदेश देता है.
      हमारी सरकार कहीं ना कहीं चीन को भी अपना मित्र बनाने के लिये मजबूर है और गाहे बगाहे उसकी करतूतों के बावजूद उसको दुश्मन मानने के लिये परहेज करना दोयम दर्जे का अंतर्राष्ट्रीय व्यवहार ही तो है.हम हमेशा यह मानते चले आये हैं कि दुश्मन का मित्र भी दुश्मन ही होता है. यदि हम पाकिस्तान को दुश्मन मानने के लिये राजी हैं चीन को भी दुश्मन मानने के लिये परहेज क्यों करते हैं.क्या हम चीन से डर रहे हैं क्या हम सर्जिकल स्ट्राइक के द्वारा चीन के द्वारा सैकडों किलोमीटर कब्जा कर चुके चीनी सेना के कब्जे वाले भारत के टुकडे को अलग नहीं करा सकते हैं.हम इस बात से डर रहे हैं कि कहीं चीन और पाकिस्तान दोनो मिलकर भारत को चारो तरफ से घेर लें तो भारत की मदद अमेरिका भी शायद नहीं करेगा. पाकिस्तान तब तक नहीं बाज नहीं आयेगा जब तक हम चीन को तवज्जो देते रहेंगें.चीन के बढते कदम पाकिस्तान के लिये छद्म युद्ध का रास्ता बनाने में भरपूर मदद करता रहेगा.यह सच है कि प्रायोगिक रूप से भारत काश्मीर की पीछे पाकिस्तान के ऊपर युद्ध नहीं कर सकता है.कहना जितना सरल है उसे उतारना उतना की कठिन.कहीं ना कहीं भारत को इस युद्ध को करने के बाद वैश्विक विरोध और मुश्लिम देशों की कट्टरता को भी झेलना पडेगा. अब तो हमारे देश को चाहिये कि वो ऐसा रास्ता खोजे की सांप भी मर जाये और लाठी भी ना टूटे.अर्थात रूस और प्फ्रांस जैसे देश का साथ लेकर इस समस्या का समाधान करना.
अनिल अयान सतना
९४७९४११४०७ 

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