रविवार, 15 मार्च 2020

"आप" की सरकार बनाम आज के सरोकार

"आप" की सरकार बनाम आज के सरोकार 

विगत रविवार को अरविंद केजरीवाल जी दिल्ली के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने, एक आई.आई.टियन से अपना कैरियर की शुरुआत करने वाले अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह से वाणिज्यकर में सेवाएँ देते हुए समाज को सूचना कानून और सूचना के अधिकार के लिए जन जागरुकता लाने का काम किया, तथा अन्ना हजारे के आंदोलन में खुद की सहभागिता को मजबूत करते हुए आम आदमी पार्टी की स्थापना की और दिल्ली के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित जी को भारी मतों से हराकर अप्रत्याशित जीत दर्ज की, दिल्ली की जनता को आमजन के सरोकारों से जॊड़ते हुए उनका प्रचंड मत प्राप्त करके विगत दो बार मुख्य मंत्री के रूप में सेवाए दिया। शुरुआती दौर में आपको जनजागरुकता, और सूचना के अधिकार के लिए कई पुरुस्कारों से नवाजा गया, रमन मैग्सेसे पुरुस्कार से सम्मानित केजरीवाल को पहले तो राष्ट्रीय पार्टियाँ कुछ समय का कुकुरमुत्ता छाप कुछ समय हेतु उगी पार्टी मानकर खूब मजाक उड़ाया, और ना जाने कितने चुटकुले, कितने वीडियों कितने कार्टून अरविंद केजरीवालपर केंद्रित रहे, अरविंद केजरीवाल की अनय राज्यों में रैलियों में थप्पड़, और काली स्याही फेंकने की घटनाएँ उनके साथ उनके दृढ़ संकल्प को और बढ़ाने का काम किया। जिन पार्टियों ने आप पार्टी का मजाक बनाया और उसके ऊपर आरोप लगाए उन्ही पार्टियों को हराकर आपने तीसरी बार सरकार बनाने में खुद को सफलता दर्ज की। कई पार्टियाँ यह जोड़ घटाना करने में लग गई कि उनके पार्टियों के राजनेताओं के परिवार के वोट तो आप में नहीं चले गए। आम आदमी पार्टी ने कहीं आम आदमी की दुखती नब्ज को तो नहीं सहला दिया।
अरविंद केजरीवाल जो पूर्व से आईआईटी और ब्यूरोक्रेट के रूप में देश की मशीनरी को समझकर फूंक फूंककर कदम रखा, अन्ना आंदोलन के दम पर लोकपाल की नाव के सहारे विरोध का सागर पार करने की कोशिश की और आज अपने अनुभव, राजनैतिक समझ और संदर्भों को सही तरीके से देश में उपयोग करने में माहिर रहे, इसी का परिणाम है कि इस बार केजरीवाल ६०+ सीट के साथ कई राजनैतिक दलों की जमानत जब्त करवा दी और वर्तमान देश में सत्तारूढ़ भाजपा की बोलती बंद करने में सफलता प्राप्त की। स्टिंग आपरेशन, मंचीय चैलेंज, आतंकवाद और आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच में अरविंद केजरीवाल के उम्मीदवारों ने क्रिकेट के मैच के अंतिम ओवर्स में कंट्रोल योर नर्व्स को फालो किया और अपने जनविकास के मुद्दों से खुद को भटकने नहीं दिया। भाजपा के ट्रोल सिस्टम को ध्वस्त करते हुए, कांग्रेस के विरोध का सामना करते हुए आप पार्टी ने अपने किए गए कामों को जनता और देश के सामने रखा और खरीदे हुए न्यूज चैनल्स के लगातार बिकाऊ प्रसारणॊं और फरेबी एग्जिट पोल्स की पोल खोलकर रख दिया। जनता को राष्ट्रीय मुद्दों के पीछॆ भागने के बजाय, उनके रोटी कपड़ा और मकान, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, परिवहन, और आर्थिक सुदृढ़ता की नींव को मजबूत करने का काम किया और प्रचार प्रसार भी इन्हीं बातों का किया। सी.ए.बी की रिपोर्ट के अनुसार अगर दिल्ली को फायदे की सरकार का तमखा मिला तो क्यों मिला इस बात का प्रचार प्रसार अपनी खर्च सीमा के अंदर रहते हुए किया। अरविंद केजरीवाल ने हर प्रचार प्रसार में कम खर्च, सुलझी हुई रणनीति, मुफ्त बिजली, पानी, यातायात, महिलाओं को दी जाने वाली सुविधाओं को गिनवाया, तो क्या आने वाले समय में अन्य राज्यों को इससे सीख लेने के लिए आगे आना चाहिए। अन्य राज्यों और पार्टियों के लिए यह भी चिंतन विमर्श का मुद्दा बनेगा।
अरविंद केजरीवाल अब जब मुख्यमंत्री बन ही गए हैं तो उन्होन सौम्य रूप से राष्ट्रवाद को स्वीकार करते हुए देश की सेवा करने का फैसला किया है, आप सरकार की पुरानी गल्तियाँ जिसकी वजह से उनको मुँह की खानी पड़ी, अब न दोहराई जाए इस बात का उन्हें ध्यान रखना होगा, यह सच है कि केजरीवाल सरकार ने अपने कार्यकाल में काफी गल्तियाँ भी की, जिसमें डिक्टेटरशिप, सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत माँगना, योगेंद्र यादव, कुमार विश्वास जैसे आप के पुराने नीव के पत्थरों को पूरी तरह से वर्तमान आप से हटा देना, राष्ट्रीय मुद्दों पर मौन धारण कर मौनी बाबा की तरह व्यवहार करना, अब चुनाव के बाद कितना सही और कितना गलत निर्णय था यह जरूर आप की सरकार और केजरीवाल को सोचना होगा, दिल्ली विश्वविद्यालय, जे एन यू, जामिया इस्लामिया वि वि, गार्गी कालेज, श्री राम इस्टीट्यूट में हुई घटनाओं पर दिल्ली के राज्य सरकार की चुप्पी अब जनता को खल सकती है, शिक्षा की बात अगर हो रही है, तो उच्च शिक्षा में उठ रहे हाथ और हिंसा को दर्शक बने देखना आप की सरकार को शोभा नहीं देता, इतना ही नहीं शाहीन बाग का विरोध, दिल्ली के विभिन्न मुद्दों जिसमें आप का कोई राजनैतिक वैचारिक बिंदु निकल कर नहीं सामने आया उस पर भी अब बात करने की आवश्यकता है, अभी तक तो चुनाव की कसमकस और जीत हार के परिणाम की चिंता थी किंतु अब तो खुद पार्टी की सरकार है। जन सरोकारों के साथ साथ आज के राजनैतिक सरोकारों, राष्ट्रीय मुद्दों में दिल्ली प्रदेश के मुख्यमंत्री क्या सोचते हैं किसका पक्ष लेते हैं इसका भी पूरे देश को इंतजार है, यहाँ पर बात हिंदू और मुस्लिम की नहीं बल्कि सही पक्ष को सामने लाने की है, उदाहरण के लिए अगर दिल्ली मे महिला वर्ग को निशुल्क आवागमन की सुविधा देकर खुद को उनके बेटे के रूप में प्रतिस्थापित करते हैं तो गार्गी कालेज में हुए बच्चियों के साथ बर्बरता और जामिया में हुई हिंसा के संदर्भ में तो आप के विचार जनता और मीडिया तक आने की उम्मीद तो की जाती है। निर्भया कांड में डॆथ वारेंट, अपने पूर्व के कारनामों की भांति सत्तारूढ़ पार्टी के भ्रष्टनेताओं की पोल खोल अभियान की शुरुआत, दिल्ली के सेना के शहीदों के लिए दी जाने वाली सुविधाए और सम्मान राशि, दिल्ली में विभिन्न त्योहारों के दौरान पर्यावरण प्रदूषण के लिए और कारगर कदम, ब्यूरोक्रेसी और न्यायालयों पुलिस महकमे की कार्य प्रणाली को दुरुस्त करने की मुहिम और अन्ना हजारे जैसे मार्गदर्शन को मुख्यधारा से जोड़ने की कवादय में आम आदमी पार्टी कितनी कूबत रखेगी यह भी आने वाले सालों में देखना है।
यह निश्चित है कि नई सरकार नये पाँच साल, नये राजनैतिक और आर्थिक लक्ष्य सरकार के सामने होंगे,  नई योजनाओं से जनता जनार्दन की उम्मीदों में खरे उतरने की आशा केजरीवाल सरकार को सच्चे और अच्छे जननायक के रूप में आगे बढ़ने के लिए उर्जा का काम करेगी, लेकिन इन सबके बीच दिल्ली अपने राजकुमार को उन विभिन्न मुद्दों पर भी मुखर देखना चाहती है जिसमें उनकी खाँसी, उबासी, उनकी चुप्पी प्रश्नचिन्ह लगाकर किनारा कर लेती है, उच्चशिक्षा, महिला और बेटियों के मुद्दे, केंद्र और राज्य के बीच में असमान्जस्य के बीच, निर्भया कांड में डेथ वारेट में में पीडिता की माँ का सहयोग और सार्थक मदद करना तो भी उनका ही दायित्व बनता है।हमारे देश में बालक बालिकाओं का अनुपात किस तरह दिल्ली में बराबर रहे इस बात पर भी राज्य सरकार को सोचना चाहिए, आर्थिक मुद्दे के साथ साथ पारिवारिक और समाजिक मोर्चे पर भी आप सरकार को बेटियों, उनके परिवार और माता पिता को आर्थिक मजबूती प्रदान करने की पहल करना होगा। मुख्य मंत्री का अब विगत वर्षों की भाँति आंदोलन करना, अपने अधिकारों को केंद्र सरकार से न प्राप्त होने पर हो गया, कहकर आगे बढ़ जाना आदि क्रियाकलापों के अतिरिक्त भी अधिकार की लड़ाई लड़ने की योजना बनानी होगी, अरविंद केजरीवाल आने वाले दशकों में इस देश में एक नये व्यक्तित्व के रूप में स्थापित होने वाले राजनेता बनेगें, उनकी आम आदमी पार्टी आम आदमी की पीड़ा का निदान करने वाला अनुभवी वैद्य बनकर अपना नाम सार्थक करेगी इस हेतु उनको आज के मुद्दों पर चुप्पी तोड़ना होगा। तभी तीसरा कार्यकाल इस देश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।

अनिल अयान,सतना

९४७९४११४०७

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